!!ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं
स्तम्भय जिह्वां किलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा!!
बगलमुखी की पूजा पीतांबरा विध्या के रूप में प्रसिध्द् हैं|(इनकी पूजा में प्रमुखता से पीले रंग का उपयोग किया जाता है)|इनकी पूजा से शत्रुओं से रक्षा तथा उन्हें परास्त करने,कोर्ट केश मे विजयी दिलाने,धनार्जन,ऋण से मुक्ति तथा वाक्-चातुर्य की शक्ति का प्राप्ति होता है|
स्तम्भय जिह्वां किलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा!!
बगलमुखी की पूजा पीतांबरा विध्या के रूप में प्रसिध्द् हैं|(इनकी पूजा में प्रमुखता से पीले रंग का उपयोग किया जाता है)|इनकी पूजा से शत्रुओं से रक्षा तथा उन्हें परास्त करने,कोर्ट केश मे विजयी दिलाने,धनार्जन,ऋण से मुक्ति तथा वाक्-चातुर्य की शक्ति का प्राप्ति होता है|
इनकी पूजा
पीले वस्त्र,हल्दी से बने माला,पीले आसन और पीले पुष्प का उपयोग किया जाता
है|यह पीठासीन देवी हैं जो अपनी दिव्य शक्तिओं से असुरों को विनाश करतीं
हैं|उनका निवास अमृत की सागर के मध्य है,जहॉ उनके निवास स्थान को हीरों से
सजाया गया है तथा उनका सिंहासन् गहनों से जड़ित है|
उनके आकृति से
स्वर्ण आभा आती है|वह पीले परिधान,स्वर्ण आभूषण तथा पीला माला धारण करतीं
हैं|उनके वाएँ हाथ मे शत्रु के जीभ और दाहिने हाथ मे गदा है|इनकी उत्पत्ति
के बारे मे एक कहानी का वर्णन किया गया है|सतयुग मे एक् बार पूरी सृष्टि
भयानक चक्रवात मे फँसी थी,तब भगवान विष्णु संपूर्ण मानव जगत के सुरक्षा
हेतु सॉराष्ट् मे स्थित हरिद्रा सरोवर के पास देवी भगवती को प्रसन्न करने
के लिए तपस्या करने लगें|
श्रीविधा उनके
सम्मुख हरिद्रा सरोवर के जल से स्वर्ण आभा लिए प्रकट हुई|उन्होनें सृष्टि
विनाशक तूफान को नियंत्रित कीं तथा सृष्टि को बर्वाद होने से बचाई|
देवी बगलामुखी
प्रकृति में अतिचार करने वाली बुरी शक्तियों को नियंत्रित करने मे सहायता
करती हैं|वह हमारी वाक् ज्ञान और गति को नियंत्रित करने मे मदद करती हैं|वह
अपने भक्तों को शक्ति और सिद्दि देती हैं तथा सभी ईच्छाओं की पूर्ति करती
हैं,जैसा-कि उन्होने अपने भक्त 'कल्पतरू' को दिए|
!!ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं
स्तम्भय जिह्वां किलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा!!
स्तम्भय जिह्वां किलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा!!
बगलामुखी महामंत्र का अर्थ इस प्रकार हैं-
हे देवी मेरे सारे दुश्मनों को बेवस और लाचार कीजिए.उनके बुध्दि और गति को नष्ट कीजिए.
No comments:
Post a Comment